#amir khusrau

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ऐ री सखी मोरे पिया घर आए

भाग लगे इस आँगन को

बल-बल जाऊँ मैं अपने पिया के, चरन लगायो निर्धन को।

मैं तो खड़ी थी आस लगाए, मेंहदी कजरा माँग सजाए।

देख सूरतिया अपने पिया की, हार गई मैं तन मन को।

जिसका पिया संग बीते सावन, उस दुल्हन की रैन सुहागन।

जिस सावन में पिया घर नाहि, आग लगे उस सावन को।

अपने पिया को मैं किस विध पाऊँ, लाज की मारी मैं तो डूबी डूबी जाऊँ

तुम ही जतन करो ऐ री सखी री, मै मन भाऊँ साजन को।

~ अमीर खुसरो

xshayarsha:

“Yearning for you, no trace of me remains.”

Amir Khusrau, from In The Bazaar Of Love: Selected Poetry of Amir Khusrau. Tr. Paul E. Losensky and Sunil Sharma.

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