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सच ये है कि लोग चले जाते है बस उनकी यादे रह जाती है।।आपका चला जाना इतना अचानक था, कि मैं संभल ही नही पायी और सारी ज़िम्मेदारीया आ गयी सर पर, सब आये चले गए समझाकर कि अब जो ज़िन्दगी बची है वो कैसे जीनी है। उन्होंने कहा कि कोई भी परेशानी हो बता देना जैसे मेरी परेशानी उन्हें पता ही नही।।मुझे खुद को ही सीखना पड़ रहा है सबकुछ, सारी दुनियादारी..कैसे दुख जताना होता है?कितना दुख जताना होता हैं? कि सबको लगे कि आप दुखी हो? क्यों लोग किसी को अपना दुख अपनी तरीके से नही जीने देते?? क्यों हर कोई कहता है कि जो चला गया वो चला गया, ऐसे भी कोई जाता है क्या??

― मेह

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिले

जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिले

ढूंढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती

ये खज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिले

अब के हम बिछड़े…तू खुदा है, न मेरा इश्क फरिश्तों जैसा

दोनों इन्सां हैं तो क्यों इतने हिजाबों में मिले

अब के हम बिछड़े…

ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो

नशा बढ़ता है शराबे जो शराबों में मिले

अब के हम बिछड़े…

अब न मैं हूँ, न तू है, न वो माज़ी है फ़राज़

जैसे दो साये तमन्ना के सराबों में मिले

अब के हम बिछड़े…

― Ahmed Faraz 


मांगने से चीज़े मिल तो जाती है, पर वो कभी अपनी नही हो पाती है।।

~ मेह

زندگی میری تھی لیکن اب تو

تیرے کہنے میں رہا کرتی ہے

Zindagi Meri Thi Lekin Ab To

Tere Kahne Mai Raha Karti Hai

― Parveen Shakir

कुछ दोस्त हैं जिनसे बातें करते दिल नही भरता,

कुछ दोस्त है जिनसे अब बात करने का मन नही करता।।

कुछ दोस्त है जिनसे मैं खुशियां बांटती हु अनगिनत,

कुछ दोस्त है जिनके कंधे के सहारे बस रो देती हूँ।।

कुछ दोस्त है जिनमे मेरा बचपना बसता हैं,

कुछ दोस्त है जो मेरे अंदर के इंसान को मारने नहीं देते।।

कुछ दोस्त है जो दूर होकर भी पास है,

कुछ दोस्त हैं जो पास होकर भी नहीं मिलते।।

कुछ दोस्त है जो ज़िन्दगी भर रहेंगे साथ मेरे,

और कुछ दोस्त हैं जिन्हें खो दिया है मैंने, पर वो खुशबु से अब भी बिखरे हुए है मेरे ‘वजूद’ में।।

मेह

ये चिराग बुझ रहे है, मेरे साथ जलते जलते ️✨

ऐ री सखी मोरे पिया घर आए

भाग लगे इस आँगन को

बल-बल जाऊँ मैं अपने पिया के, चरन लगायो निर्धन को।

मैं तो खड़ी थी आस लगाए, मेंहदी कजरा माँग सजाए।

देख सूरतिया अपने पिया की, हार गई मैं तन मन को।

जिसका पिया संग बीते सावन, उस दुल्हन की रैन सुहागन।

जिस सावन में पिया घर नाहि, आग लगे उस सावन को।

अपने पिया को मैं किस विध पाऊँ, लाज की मारी मैं तो डूबी डूबी जाऊँ

तुम ही जतन करो ऐ री सखी री, मै मन भाऊँ साजन को।

~ अमीर खुसरो

मेरी प्रिय सखी,

जानता हु नाराज हो तुम मुझसे और होना भी चाहिए, मैं हु ही इसी लायक शायद, वक़्त जो नहीं दे पाता तुम्हें पहले जैसे…

तुम्हारी गलती नही है की तुमने एक ऐसे शख्स से मोहब्बत कर ली, जिसे तुम्हारी बहुत फिक्र है..पर जताना नही आता

वो शख्स जो कभी भी तुम्हारे बुलाने पर समय पर नहीं आता… जो तुम्हारे दोस्तों को थोड़ा भी नही सुहाता..

जिसे पता है कि तुम कभी कभी बहुत छोटा महसूस करती हो पर उसे चीज़ों को बड़ा बनाना नहीं आता..

एक ही बार रोया था जो खुलकर तुम्हारे सामने

वो ही लड़का जिसे तुम्हारे सामने दर्द छुपाना नही आता

जानती हो तुम तो सबकुछ पर समझ नही पाती

गलती तुम्हारी नहीं हैं, शायद मुझे ही समझाना नहीं आता

तुमसे प्यार होने से पहले ही बहुत कुछ हो चुका है ज़िंदगी मे…मेरी जिम्मेदारियों ने मुझे छोटी सी उम्र में बहुत कुछ सीखा दिया है, और तुमसे इसीलिए बहुत प्यार है क्योंकि वो खोया हुआ बचपन लायी हो तुम मेरी उदासीन ज़िन्दगी में।

तुम शिकायते बहुत करती हो हर वक़्त पर मुझे वो भी मंजूर है..शायद हमारे प्यार का असली सार ही इन शिकायतों मे है

बस थोड़ा वक्त दे दो मुझे क्योंकि तुम्हारा प्रेमी होने से पहले मैं एक बेटा, भाई, दोस्त ओर बहुत कुछ हु जिसके होने के मायने इस जन्म में समझाना मुश्किल है

ये सब कहूंगा तो रो दोगी तुम ओर फिर में पूरी रात सो नही पाऊंगा, और सुबह फिर से हज़ारों काम है..

तो बस मान जाओ यार सच मे बहुत प्यार है तुमसे…..


तुम्हारा पर जो सिर्फ तुम्हारा नहीं हो सकता

दिल दुखता तो है, पर काश मुझे किसी का दिल दुखाना आता।।

मेह

ये यहाँ से वहाँ, वहाँ से यहाँ..जाने की चाह तुम्हे कही का न रहने देगी

यहाँ से चले जाओगे तो याद सताएगी..और वहाँ जाकर तुम लौट नही पाओगे

सोचो इतना वक़्त सिर्फ सफर में ..और मंज़िल पसंद ना आये

उफ़्फ़ ये तुम्हारी ज़िद और चाहते।।

~मेह

है उड़ते पंछी की छांव तू , बेपरवाह बहती सी नाव तू

कैसे अपनाए है तू एक घर ?, है बंजारों का गांव तू

~मेह

मैं अभी भी ज़िंदा हूँ,क्योंकि मैं मरना नहीं चाहती

मुर्दों के शहर में,सड़ी-गली परंपराओं के बीच

जहाँ हर चीज़ बिकती हो, जैसे बिकते हैं गीत

बिकती हैं दलीलें और बिका करती हैं गुलाबी रंगों वाली वो देह

जिसमें बंद हैं कई कमरे ||

~ अंजना बख्शी

मेरे इश्क़ को आवारगी का रंग न दीजिए, गर नही है मोहब्बत तो कह भी दीजिए।।

~ मेह

वो बहुत समझदार हैं और मैं बहुत नादान, अगर बनती कभी तो भी बिगड़ जाती।।

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